What Is IPO In Hindi? इसमें निवेश कैसे करे और, निवेश करने के फायदे और नुकशान?

What Is IPO(IPO क्या है): शेयर मार्किट में वर्ष 2024 को आईपीओ का वर्ष कहा जाये तो कुछ गलत नहीं होगा। जहा पर की बड़ी मात्रा में बड़ी – बड़ी कम्पनिया एक बाद – बाद अपनी आईपीओ ला रही है। अगर आप शेयर मार्किट में रूचि रखते है और इस से जुडी खबरे देखते है तो आप को हर दूसरे दिन किसी कंपनी के आईपीओ में बारे में सुनने को मिलता है। ऐसे में बहुत से निवेशकों के मन में सवाल उठता है की आखिर आईपीओ क्या होता है और कम्पनिया अपनी आईपीओ क्यों लाती है। साथ ही उन्हें आईपीओ में निवेश करना चाहिए या नहीं। उनके मन में एक सवाल  भी बना होता है की आईपीओ में निवेश करने के फायदे है या फिर नुकशान। इन सभी सवालों का जबाब आप को मिलने वाला है इस आर्टिकल में। 

What Is IPO In Hindi
What Is IPO In Hindi And To Invest In IPO

What Is IPO? आईपीओ  से जुड़ी अहम जानकारी।

आईपीओ क्या होता है?

IPO जिसका की फूल फॉर्म होता है  इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग, आईपीओ का मतलब  है की कंपनी के द्वारा अपने शेयर की आरंभिक सार्वजनिक पेशकश करना  है। यह एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसके द्वारा एक निजी तौर पर आयोजित कंपनी पहली बार सार्वजनिक रूप से अपने शेयरों को ऑफर करके सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनी बन जाती है। एक निजी कंपनी जिसमें कुछ शेयरधारक होते हैं,  जो अपने शेयरों का व्यापार करके सार्वजनिक में जाकर अपने स्वामित्व को कम करते है या फिर शेयर करते है। आईपीओ के जरिए, कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध नाम मिल जाता है।

कंपनी आईपीओ क्यों लाती है? 

जैसा की आप जानते है की जब कोई व्यापारी अपना बिज़नेस की शुरुआत करता है तो उसे बिज़नेस को शुरुआत करने के लिए पैसो की जरुरत होती है। बिज़नेस में पैसे लाने के 04 (चार) मुख्य चरण होते है। पहले चरण में  वह बिज़नेस की शुरुआत अपने निजी पैसे से या फिर दोस्तों, रिश्तेदारों से पैसे मांग कर शुरू करता है। लेकिन जब धीरे – धीरे उसका व्यापर बड़ा होता है तो उसे और पैसो की जरुरत होती है। लेकिन व्यापारी के पास पैसे नहीं होते है तो उस दूसरे चरण का उपयोग करता है जहा पर की वह एंजेल इन्वेस्टर्स (Angel Investors) से पैसे मांगता है। तीसरे चरण में जब उसे और पैसो की जरुरत होती है तो वह प्राइवेट इक्विटीस फण्ड (Pvt Equities Fund) से और प्राइवेट कम्पनिया से पैसा मांगता है। लेकिन उसे अपना बिज़नेस और बड़ा करना है जिसके लिए उसे बड़ी मात्रा में पैसे की जरुरत पड़ती है। पैसे इतना बड़ी मात्रा में होता है की वे इन तीनो चरणों से पूरा नहीं हो पता है। तब चौथा चरण आता है जिसमे  कंपनी निर्णय लेती है की कंपनी को बढ़ाने के लिए पब्लिक से पैसे लिया जाये । कंपनी को पब्लिक से पैसा लेने के लिए आईपीओ लॉन्च करना होता है जिसे द्वारा कंपनी पैसा लेती है।

 

आईपीओ के प्रकार

आईपीओ के दो सामान्य प्रकार हैं- New IPO

1) निश्चित मूल्य की पेशकश

फिक्स्ड प्राइस आईपीओ को वह इश्यू प्राइस कहा जा सकता है जिसे कुछ कंपनियां अपने शेयरों की शुरुआती बिक्री के लिए तय करती हैं। निवेशकों को उन शेयरों की कीमत के बारे में पता चलता है जिन्हें कंपनी सार्वजनिक करने का फैसला करती है।

इश्यू बंद होने के बाद ही बाजार में शेयरों की मांग का पता चल सकता है। अगर निवेशक इस आईपीओ में हिस्सा लेते हैं , तो उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि आवेदन करते समय ही  वे शेयरों की पूरी कीमत चुकाएं।

2) बुक बिल्डिंग ऑफरिंग

बुक बिल्डिंग के मामले में, IPO शुरू करने वाली कंपनी निवेशकों को शेयरों पर 20% मूल्य बैंड प्रदान करती है। अंतिम मूल्य तय होने से पहले इच्छुक निवेशक शेयरों पर बोली लगाते हैं। यहां, निवेशकों को उन शेयरों की संख्या निर्दिष्ट करने की आवश्यकता होती है जिन्हें वे खरीदना चाहते हैं और प्रति शेयर वे कितनी राशि का भुगतान करने को तैयार हैं।

सबसे कम शेयर मूल्य को फ्लोर प्राइस कहा जाता है, और सबसे अधिक शेयर मूल्य को कैप प्राइस कहा जाता है। शेयरों की कीमत के बारे में अंतिम निर्णय निवेशकों की बोलियों द्वारा निर्धारित किया जाता है।

कंपनी आईपीओ कैसे ऑफर करती है?

1.) इन्वेस्टमेंट बैंको का हायर करना 

कंपनी आईपीओ (IPO) की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अंडरराइटर या इन्वेस्टमेंट बैंकों के पास जाती है जिन बैंको का काम होता है की वह कंपनी का आईपीओ लाने से पहले कंपनी से जुडी सभी जानकारिओं का सही से अध्यन करे। अगर कंपनी बड़ी है और उसे काफी बड़ी मात्रा में पैसो की जरुरत है तो अक्सर कंपनी  एक से अधिक बैंक की  सेवाएं लेती  हैं। टीम कंपनी की वर्तमान फाइनेंशियल स्थिति का अध्ययन करती है , अपने एसेट और देनदारियों के साथ काम करती है, और फिर वे फाइनेंशियल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए  योजना बनाएगी। एक अंडरराइटिंग एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया जाता है , जिसमें डील का सभी विवरण, उठाई जाने वाली राशि और जारी की जाने वाली सिक्योरिटीज़ की जानकारी होती है। हालांकि अंडर-राइटर कैपिटल के बारे में आश्वासन देते हैं, लेकिन वे पैसे के मूवमेंट में शामिल सभी जोखिमों की ज़िम्मेदारी नहीं लेते है।

2.)आरएचपी (RHP) तैयार करना और सेबी (SEBI) में रजिस्टर करना 

कंपनी और अंडरराइटर, एक साथ रजिस्ट्रेशन स्टेटमेंट (अनिवार्य रूप से कंपनी अधिनियम के तहत) ड्राफ्ट आरएचपी (RHP) (रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस) के साथ फाइल करते हैं, जिसमें सभी फाइनेंशियल डेटा, उद्योग और बिज़नेस विवरण, प्रबंधन विवरण, प्रति शेयर संभावित मूल्य अनुमान, जोखिम रिपोर्ट, कंपनी के बिज़नेस प्लान और सेबी अधिनियम और कंपनी अधिनियम के अनुसार अन्य प्रकटन शामिल होते हैं। इसे यह घोषित करना होगा कि कंपनी आईपीओ (IPO) से उठाए जाने वाले फंड और सार्वजनिक निवेश की सिक्योरिटीज़ का इस्तेमाल कैसे करेगी। ये दस्तावेज़ स्थानीय आरओसी (ROC) (कंपनियों के रजिस्ट्रार) को बिडिंग के लिए ऑफर खोलने से कम से कम 3 दिन पहले सबमिट किए जाने चाहिए। फिर कंपनी आईपीओ (IPO) के लिए सेबी (SEBI) को आवेदन कर सकती है। प्रारंभिक प्रॉस्पेक्टस को ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि प्रॉस्पेक्टस का पहला पेज एक चेतावनी है जिसमें यह बताया गया जाता कि यह अंतिम प्रॉस्पेक्टस नहीं है। हालांकि, कंपनी के प्रॉस्पेक्टस के सभी दायित्वों को आरएचपी में भी शामिल किया जाना चाहिए। दोनों के बीच किसी भी वेरिएशन को हाइलाइट करना होगा और सेबी (SEBI) और आरओसी (ROC) द्वारा विधिवत स्वीकृत किया जाएगा।

अगर रजिस्ट्रेशन स्टेटमेंट सेबी (SEBI) द्वारा निर्धारित कठोर दिशानिर्देशों का अनुपालन करता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि कंपनी ने एक संभावित इन्वेस्टर को हर विवरण का खुलासा किया है, तो यह ग्रीन सिग्नल यानी अनुमति प्राप्त करता है। अगर इस में कुछ गलती पाया जाता है तो  फिर इसे टिप्पणियों के साथ वापस भेजा जाता है। फिर कंपनी को टिप्पनिओं के सम्बन्ध में ज़रूरी कार्यवाही करनी  होती है और फिर रजिस्ट्रेशन के लिए फाइल करना होता है। जब कंपनी के द्वारा दी गई जानकारी सेबी (SEBI) को सही लगती है और उसमे किसी भी प्रकार की गलती नहीं होती है तो सेबी (SEBI) स्वीकृति दे देता है। स्वीकृति मिलने के बाद ही एप्लीकेशन आईपीओ (IPO) की तिथि तय कर सकते  है। इसके बाद, फाइनेंशियल प्रॉस्पेक्टस रिलीज हो जाता है। यह चरण संभावित निवेशकों के बीच आईपीओ (IPO) के लिए आवश्यक जांच भी करता है।

3.) स्टॉक एक्सचेंज में आवेदन करना।

(SEBI) से  स्वीकृति मिलने के बाद कंपनी को यह निर्णय लेना होता है की उसे किस स्टॉक एक्सचेंज पर अपने शेयर को लिस्ट करना है। कंपनी चाहे तो अपने शेयर को दोनों स्टॉक एक्सचेंज NSE और BSE पर लिस्ट कर सकती है या  या फिर किसी भी  एक स्टॉक एक्सचेंज पर । कंपनी को जिस भी स्टॉक एक्सचेंज पर अपने  शेयरों को लिस्ट करना होता है उसे उस स्टॉक एक्सचेंज पर आवेदन करना होता है।

आईपीओ में निवेश कैसे करे।

तकनीकी रूप से कहा जाए तो, कोई भी वयस्क जो लीगल कान्ट्रैक्ट में प्रवेश करने के लिए सक्षम है, कंपनी के आईपीओ (IPO) के लिए आवेदन कर सकता है। आप को आईपीओ में निवेश करने के लिए  आपके पास आयकर विभाग द्वारा जारी की हुई पैन (PAN) कार्ड होने जरुरी है साथ ही आपके पास एक वैध डीमैट अकाउंट भी होना चाहिए। आप को यह पता होना चाहिए की आईपीओ (IPO) में निवेश करने के लिए   ट्रेडिंग अकाउंट होना आवश्यक नहीं है, आप के पास केवल डीमैट अकाउंट है तो भी आप आईपीओ में निवेश कर सकते है।

हालांकि, अगर आप शेयरों को सूची में बेचना चाहते हैं तो ट्रेडिंग अकाउंट की ज़रूरत होगी। इसलिए ब्रोकर आपको पहली बार आईपीओ (IPO) के लिए आवेदन करते समय डीमैट खाते के साथ ट्रेडिंग अकाउंट खोलने की सलाह देते हैं।

यहां याद रखने के लिए एक महत्वपूर्ण बात है, कि जब आप आईपीओ (IPO) के लिए आवेदन करते हैं, तो यह केवल एक प्रस्तावना हीं होता है बल्कि प्रस्ताव के लिए आमंत्रण होता है। एक बार निवेशक आईपीओ (IPO) के लिए बिडिंग करने के बाद, कंपनी और अंडरराइटर प्राप्त बिडिंग की समीक्षा करते हैं। फिर आबंटन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जहां प्रत्येक निवेशक द्वारा आबंटित शेयरों की मांग, सब्सक्रिप्शन लेवल और आबंटन नियमों जैसे विभिन्न कारकों के आधार पर निर्धारित किया जाता है।

एक बार शेयर आवंटित हो जाने के बाद, निवेशक का बैंक अकाउंट से पैसे कट जाते है। और शेयर निवेशक के डीमैट खाते में जमा कर दिए जाते है। और निवेशक कंपनी का शेयर धारक बन जाता है जहा पर उसके पास उस कंपनी का मालिकाना हक़ होता है यह हक़ निवेशक के पास मौजूद शेयरों के प्रतिशत के अनुसार होता है। और वह इसके द्वारा अपने भावी विकास और उससे होने वाले लाभ में हिस्सेदारी ले सकता है।

आईपीओ में निवेश करने के फ़ायदा और नुकशान

आईपीओ में निवेश करने के लाभ 

इसका एक मुख्य लाभ यह है कि कंपनी को पूंजी जुटाने के लिए पूरे निवेशक जनता से निवेश प्राप्त करने का अवसर मिलता है। इससे अधिग्रहण सौदे (शेयर रूपांतरण) आसान हो जाते हैं। और कंपनी की पहुंच, प्रतिष्ठा और सार्वजनिक छवि बढ़ती है, जिससे कंपनी को  बिक्री और मुनाफे में मदद मिल सकती है। क्यों की कंपनी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होती है जिसके बारे में अधिक से अधिक लोगो को पता होता है। कई बार तो निवेशक उस कंपनी का प्रोडक्ट लेने उचित समझते है जिस कंपनी में उन्होंने निवेश किया है जिसका की सीधा असर कंपनी के सेल पर पड़ता है। निवार्य त्रैमासिक रिपोर्टिंग के साथ आने वाली बढ़ी हुई पारदर्शिता आमतौर पर किसी कंपनी को निजी कंपनी की तुलना में अधिक अनुकूल ऋण उधार शर्तें प्राप्त करने में मदद कर सकती है।

आईपीओ में निवेश करने के नुकशान 

आईपीओ में निवेश करने के फायदे के साथ साथ कुछ नुकशान भी हो सकते है क्यों की जब कोई कंपनी अपना आईपीओ लाती है तो वह अपने कंपनी का मूलयांकन बढ़ा चढ़ा कर काफी अधिक दिखती है जिस से की उसे अधिक से अधिक मात्रा में पैसे मिल सके। जिसका सीधा नुकशान कई बार निवेशकों को झेलना पड़ता है क्योकि वे अधिक मुल्यांकन में कंपनी का आईपीओ ले लेते है और उनके आईपीओ लेने के बाद जैसे ही कंपनी स्टॉक एक्सचेंज पर रजिस्टर होती है तो उस कंपनी में भारी गिरावट देखने को मिलती है। इसीलिए आईपीओ में निवेश करने से पहले आप के पास  कंपनी से जुडी सभी जानकारी होनी चाहिए।

निष्कर्ष

आईपीओ (IPO) स्टॉक सेकेंडरी मार्केट में ट्रेड होने के बाद स्टॉक की कीमत बढ़ भी सकती है और नहीं भी बढ़ सकती है। सेबी (SEBI) द्वारा अनिवार्य की गई कुछ लॉक-इन अवधि मौजूद होती है जिनके लिए प्रमोटर और नॉन-प्रमोटर को कुछ समय के लिए अपने आईपीओ (IPO) स्टॉक को होल्ड करना आवश्यक होता है। जब ये अवधि समाप्त हो जाती है, तो स्टॉक की कीमत में कुछ समय के लिए मंदी आ सकती है।

आईपीओ में निवेश करने से पहले जाने आने वाली नई आईपीओ  के बारे में विस्तार से।

Disclaimer

इस लेख में दी गई जानकारी केवल सूचना के लिए है इस में दी गई किसी भी जानकारी को निवेश की सलाह ना माने। किसी भी प्रकार के निवेश से पहले अपने निवेश सलाहकार की राय अवश्य ले। निवेश से सम्बंधित किसी भी मामले में बाजार बुलेटिन (Bazaar Bulletin) और इस से जुड़े कोई भी व्यक्ति, कर्मचारी जिम्मेदार नहीं है।

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