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What Is Share Market ?( शेयर बाजार क्या है )

अगर आप भी शेयर मार्किट में पैसा इन्वेस्ट करना चाहते है और उस इन्वेस्ट किये हुए पैसे से और पैसा कमाना चाहते है तो आप के मन में जो सबसे पहला सवाल जो आता है वो यह की शेयर मार्किट क्या है और ये काम कैसे करता है। आप के इन्ही सवालों का जबाब देंगे हम इस आर्टिकल में की शेयर मार्किट क्या है, ये कैसे काम करता है शेयर मार्किट की इतिहास और भी अन्य जानकारी।

शेयर मार्किट क्या है ?

शेयर मार्किट एक ऐसा मार्किट जहा पर कम्पनीओ के शेयर को ख़रीदा और बेचा जाता हो यहाँ पर केवल उन्ही कंपनी के शेयर को ख़रीदा और बेचा जाता है जो कंपनी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होती है। जिस भी कप्म्पनी को अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिए पैसो की जरुरत होती वो स्टॉक एक्सचेंज पर अपने कंपनी को लिस्टेड करता है। जहा से की एक आम नागरिक उस एक्सचेंज के माध्यम से लिस्टेड कंपनी में पैसा इन्वेस्ट कर सकता है। भारत में मुख्या रूप से दो स्टॉक एक्सचेंज है। भारत का जो सबसे पहला स्टॉक एक्सचेंज है वो है बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज जिसकी अस्थापना सन 1875 में हुई थी ये भारत का ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे पहला स्टॉक एक्सचेंज है। भारत का जो दूसरा स्टॉक एक्सचेंज है वो है नेशनल स्टॉक एक्सचेंज जिसकी अस्थापना सन 1994 में हुई थी।

शेयर बाजार के प्रकार

शेयर बाजार मुख्य रूप से दो प्रकार में वर्गीकृत किया जा गया है ।

प्राथिमक शेयर बाजार

जब कोई भी कंपनी शेयर के जरिये फण्ड जुटाने के लिए पहली बार स्टॉक एक्सचेंज में खुद को रजिस्टरड कराती है तो वह प्राइमरी मार्किट में प्रवेश करती है  इसे इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) कहा जाता है । जिसके बाद कंपनी सार्वजनिक रूप से रजिस्टर हो जाती है । जिसके बाद आम नागरिक के द्वारा आईपीओ के लिए आवेदन किया जाता है फिर उसके बाद कंपनी उन लगो को शेयर अलॉट करती है जिन्होंने आईपीओ के लिए आवेदन किया था ।

द्वितीयक बाज़ार

एक बार जब किसी कंपनी की नई प्रतिभूतियाँ(shares) प्राथमिक बाज़ार में बिक जाती हैं, तो उन्हें द्वितीयक शेयर बाज़ार में बेचा जाता है। यहाँ, निवेशकों को मौजूदा बाज़ार मूल्यों पर आपस में शेयर खरीदने और बेचने का अवसर मिलता है। आम तौर पर निवेशक ये लेन-देन किसी ब्रोकर या ऐसे अन्य मध्यस्थ के माध्यम से करते हैं जो इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बना सकते हैं।

शेयर बाज़ार में किन किन चीजों कारोबार होता है?

स्टॉक एक्सचेंज पर कई प्रकार के वित्तीय साधनों का कारोबार होता है। इनमें शामिल हैं:

शेयर्स (Share)

आसान शब्दों में, शेयर संबंधित कंपनी के स्वामित्व का एक हिस्सा है. एक कॉर्पोरेशन के शेयरधारक के रूप में, आप कंपनी के निवेशक हैं और इस प्रकार जारी करने वाली कंपनी का एक हिस्सा है. इसके अलावा, शेयरधारकों के पास कंपनी के लाभ और साथ ही कंपनी के नुकसान के परिणामों का सामना करना पड़ता है.

बांड (Bound)

बॉन्ड दरअसल जारी करने वाले के लिए एक कर्ज है, जो आपके निवेश को ब्याज सहित वापस करने का वचन देता है. ज्यादातर कंपनियां और राज्य या केंद्र सरकारें व्यावसायिक खर्च और विकास की परियोजनाओं को पैसे मुहैया कराने के लिए बॉन्ड के माध्यम से फंड जुटाती हैं. इसलिए बॉन्ड निवेश के ऐसे इंस्ट्रूमेंट हैं, जिन्हें फिक्स्ड इनकम एसेट के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है. बॉन्ड जारी करने वाले कर्जदार हैं और बॉन्ड धारक के रूप में आप उसे जारी करने वाले के कर्जदाता बन जाते हैं।

म्यूचुअल फंड्स (Mutual Fund)

म्यूचुअल फंड कई निवेशकों से फंड इकट्ठा करते हैं और प्रतिभूतियों के विविध पोर्टफोलियो में निवेश करते हैं। ये पेशेवर रूप से प्रबंधित फंड व्यक्तियों को स्टॉक, बॉन्ड और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स सहित विभिन्न परिसंपत्तियों में निवेश करने का एक तरीका प्रदान करते हैं

 

शेयर बाजार काम कैसे करता है ?

शेयर बाजार का मुख्य कार्य है की शेयर के बिकरते और खरीदार को आपस में मिलाना ये एक ऐसी जगह है जहा पर शेयर खरीदने और बेचने वाले आते है और शेयर्स की आपस में खरीद बिक्री करते है ये सभी गतिविधि पर गवर्नमेंट रेगुलेशन (SEBI) की नजर होती है जो ये सुनिश्चित करता है की मार्किट में नियमो का पालन हो रहा है या नहीं कही कोई कंपनी गलत तरीके से तो अपने शेयर के दाम को ऊपर तो नहीं ले जा रही है। सेबी का मुख्या कार्य मार्किट में हो रहे गलत कार्यो को रोकना है।

 

भारत के शेयर मार्किट का इतिहास

भारतीय शेयर बाजार का विकास एक आकर्षक यात्रा रही है, जिसमें महत्वपूर्ण मील के पत्थर शामिल हैं जिन्होंने इसके विकास को आकार दिया है। मामूली शुरुआत से लेकर दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक बनने तक, भारतीय शेयर बाजार ने एक लंबा सफर तय किया है।

भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में प्रमुख मील के पत्थरों में से एक 1875 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) की स्थापना थी। इसकी शुरुआत दलालों के एक संगठन के रूप में हुई और धीरे-धीरे यह एक पूर्ण एक्सचेंज के रूप में विकसित हो गया, जिसने व्यापार और निवेश गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर तब आया जब भारत ने 1991 में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की। अधिक खुली अर्थव्यवस्था की ओर इस बदलाव ने शेयर बाजार को काफी प्रभावित किया, विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया और तरलता में सुधार किया। इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की शुरूआत ने लेन-देन के संचालन के तरीके में और क्रांति ला दी, जिससे निवेशकों के लिए भाग लेना आसान हो गया।

वर्ष 2000 में, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज(NSE) इलेक्ट्रॉनिक ऑर्डर मैचिंग सिस्टम और ऑनलाइन ट्रेडिंग सेवाओं जैसी नवीन प्रथाओं को शुरू करके BSE के एक मजबूत प्रतियोगी के रूप में उभरा। इस प्रतिस्पर्धा ने भारतीय शेयर बाजार के भीतर विकास को बढ़ावा दिया और दक्षता में सुधार किया।

वर्ष 2014 में सेबी द्वारा पारदर्शिता को बढ़ावा देने और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए विभिन्न सुधारों को लागू करने के साथ एक और मील का पत्थर साबित हुआ। इन उपायों में इनसाइडर ट्रेडिंग पर सख्त नियम, कॉर्पोरेट प्रशासन के बेहतर मानदंड और अधिक प्रकटीकरण आवश्यकताएं शामिल थीं – इन सभी ने निवेशकों के बीच विश्वास बढ़ाने में योगदान दिया।

हाल ही में, MSCI इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स जैसे वैश्विक सूचकांकों में भारत के शामिल होने से अंतरराष्ट्रीय फंडों से पर्याप्त निवेश आकर्षित हुआ है। यह मान्यता न केवल भारत के बढ़ते कद को दर्शाती है बल्कि घरेलू और विदेशी निवेशकों के लिए अवसरों का भी संकेत देती है।

इस यात्रा में प्रत्येक मील का पत्थर भारत के शेयर बाजार को आकार देता है। इसकी वृद्धि के लिए निरंतर नवाचार महत्वपूर्ण है, अस्थिरता, विनियमन, प्रौद्योगिकी और बदलती प्राथमिकताओं को संबोधित करना। कहानी जारी है, हर साल नए अवसर और चुनौतियाँ लेकर आ रहा है। एक मजबूत नींव और बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ, भारत के शेयर बाजार का भविष्य निवेशकों के लिए आशाजनक दिखता है।

 

 

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